Welcome - Samanvaya Pariwar Trust, Jabalpur(M.P.)

भारतीय जीवन, संस्कृति एवं चिन्तन का मूल आधार है। अतः आचार शुद्धि के साथ-साथ विचार शुद्धि के मार्ग पर बढ़ते हुए समर्पण-सेवा और सत्स› के त्रिसूत्रीय सिद्धान्त को जीवन में धारण कर हर मानव उस विराट प्रभु के निकट पहुँच सकता है। इन्ही उद्देश्यों की प्रप्ति हेतु पूज्य महामण्डलेश्वर स्वामी श्री सत्यमित्रानन्द गिरि महाराज द्वारा देश और विदेशों में समन्वय परिवार का गठन किया गया। पूज्य स्वामी जी के सान्निध्य में उनकी ही प्रेरणा एवं आशीर्वाद से समन्वय परिवार जबलपुर की संस्थापना सन् 1981 में गठन के उपराँत सामूहिक सत्संग एवं सेवा के माध्यम से उत्तरोत्तर विकास हुआ, नगर के अनेक बुद्धिजीवियों संभ्राँत परिवारों एवं न्यायविदों ने इसकी सदस्यता ग्रहण की। पूज्य स्वामी जी के निर्देशानुसार एक ट्रस्ट का गठन किया गया जिसे समन्वय-परिवार ट्रस्ट जबलपुर नाम दिया गया।

इस ट्रस्ट के संरक्षक स्वयं पूज्य स्वामी जी एवं श्रीनृसिंह पीठाधीश्वर महामण्डलेश्वर महन्त श्री रामचन्द्रदास शास्त्री जी महाराज तथा डाँ. कृष्णकान्त जी चतुर्वेदी को अध्यक्ष एवं श्री प्रकाश अग्रवाल जी को मंत्री चुना गया। नगर की धर्म परायण जनता, प्रसिद्ध उघोगपति एवं अनेक चिकित्सकों के सहयोग से अनेक स्थानों पर सत्संग के साथ-साथ सेवा के विभिन्न प्रकल्प प्रारम्भ किये गये । सेवा प्रकल्पों को मूर्त रूप देने के लिए परम तपस्वी संत श्री नृसिंह पीठाधीश्वर रामचंद्र दास शास्त्री जी ने छोटी लाईन फाटक नागपुर रोड जबलपुर के समीप 28,000 वर्गफुट का प्लाट प्रदान किया, जहाँ पर सेवा प्रकल्पों को संचालित करने हेतु समन्वय परिवार द्वारा भवन निमार्ण कराया गया। इस केन्द्र के निमार्ण में डॉ. कैलाश गुप्ता, श्री जी.डी. राव, श्री मधुसूदनदास मालपाणी, स्व. श्रीमती डॉ. उर्मिला जामदार, श्री जूडियामल जी बुधरानी, श्री मुरारी यादव एवं श्री राजाराम अग्रिहोत्री का विशेष सहयोग रहा है।

वर्तमान में सत्संग, धार्मिक, अन्य सभा हेतु 7000 वर्ग फुट का एक हाल ‘‘जय नारायण सभागृह’’ निर्मित किया गया है। वर्तमान में समन्वय परिवार ट्रस्ट, जबलपुर के अध्यक्ष महामण्डलेश्वर स्वामी श्री अखिलेश्वरानन्द गिरि जी महाराज एवं विकलांग सेवा केन्द्र में डॉ.  जितेन्द्र जामदार के कुशल निर्देशन में कृत्रिम अंग निर्माण तथा सेवाकार्य निरन्तर सुचारू रूप से किये जा रहे है तथा उत्तम गुणवत्ता युक्त कृत्रिम अंग निःशुल्क वितरित करने के तथा चिकित्सा, सेवा तथा मार्गदर्शन के कार्य किये जा रहे हैं

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