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रुग्ण संन्यासी चिकित्सा केन्द्र
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भारतीय समाज-रचना में संन्यास आश्रम या आजीवन पूरी तरह घर
से मुक्त होकर, विरक्त सेवा करने वालों का महत्त्व रहा है। आश्रम-व्यवस्था, में ब्रह्माचर्य,
गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास में से गृहस्थ और संन्यासाश्रम ही आज सुरक्षित है। उसमें
भी समाज में श्रेष्ठ मानवीय मूल्यों की स्थापना की दृष्टि से संन्यास का बहुत महत्त्वपूर्ण
योगदान रहा है। आज भी यह वर्ग अपने द्वारा किए गए समाज-सेवा एवं समाज उन्नयन कार्यों
के कारण आदर की दृष्टि से देखा जाता है; समाज उतनी चिन्ता नहीं कर पाता उदाहरण के लिए
इनमें से यदि कोई वयोवृद्ध संन्यासी बीमार पड़ जाए तो उसकी चिकित्सा कौन करेगा? उनमें
से अधिकांश न धन संग्रह करते और न अपने परिवार पर आश्रित हैं। ऐसी स्थिति में जहाँ
समाज में संन्यास आश्रम और संन्यासियों की महती प्रतिष्ठा है वहीं उनमें से व्यक्ति
निराश्रित, निर्धन एवं वयोवृद्ध होने के कारण उनकी गम्भीर कठिनाईयों का सामना भी उन्हें
करना पड़ता है। आज समाज की वह उदार और सहायक दृष्टि नहीं रह गई है जिससे उन्हें भरण-पोषण
की सहज सुविधा हो। परिणामतः छोटी-छोटी सुविधाओं के लिए उन्हें दूसरे का मुँह देखना
पड़ता है। यह भी देखा गया है कि यदि कोई वृद्ध संन्यासी अस्वस्थ हो जाए और वह अस्वस्थता
कुछ लम्बे समय की हो जाए तो वह अनाथ की तरह जीवन जीता है। यदि उसके परिजन सम्पन्न हुए
तो वे उसे अपने घर वापिस ले जाते हैं और जितना बन सके उतनी ही सेवा कर पाते हैं, परन्तु
इससे संन्यासी का संन्यास धर्म खण्डित हो जाता है। और जिस उद्देश्य से वह परिवार छोड़कर
समाज की सेवा के लिए घर से निकला था उसका वह उद्देश्य सफल नहीं हो पाता। कभी-कभी किसी
बड़ी बीमारी लग जाने से फिर उसके जीवन रक्षा की समाज में कोई व्यवस्था नहीं है। यही
कारण है कि समन्वय परिवार के संस्थापक पूज्य महामण्डलेश्वर श्री स्वामी सत्यमित्रानन्द
गिरि महाराज के आशीर्वाद और मार्ग दर्शन में समन्वय परिवार जबलपुर ने रुग्ण-संन्यासी
सेवा प्रकल्प प्रारम्भ किया है, इसमें किसी भी पन्थ का संन्यासी हो उसकी हम सेवा करेंगें।
शर्त केवल इतनी है कि वह निराश्रित हो और अपने साधन से कुछ न कर सके इतना निर्धन हो।
ऐसे प्रामाणिक किन्तु वयोवृद्ध रुग्ण संन्यासी की चिकित्सा के लिए वर्तमान में चार
बिस्तरों वाला एक हाल का निर्माण किया गया है। समन्वय परिवार उनका इलाज नगर के चिकित्सालयों
के सहयोग से करायेगा।
इस व्यय-साध्य किन्तु अत्यन्त उपयोगी योजना के लिए माननीय मुख्यमन्त्री जी ने एक लाख
रूपये की घोषणा कर उदारतापूर्वक सहायता प्रदान की है। समन्वय परिवार द्वारा अपने संसाधनों,
शासकीय सहयोग, नगर के सामाजिक संगठनों तथा चिकित्सा संस्थानों के सहयोग से इस सेवा
प्रकल्प को पूरा किया जाएगा। इसे चलाने के लिए आवश्यक संसाधन जुटा लिए गए हैं। उपर्युक्त
सेवाभावी परियोजना के अन्तर्गत अबतक वयोवद्ध एवं आश्रयहीन संन्यासियों ने रहकर उपचार
लाभ किया। इसके अतिरिक्त समन्वय परिवार ट्रस्ट जबलपुर द्वारा गुप्तेश्वर शिवमन्दिर
‘‘गुप्तेश्वर में निःशुल्क होम्योपैथिक एवं आयुर्वेदिक औषधि उपचार एवं ग्वारीघाट नर्मदातट
पर रुग्ण साधु संत महात्माओं को निःशुल्क चिकित्सा सेवा की जा रही है।
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